Sunday, April 3, 2022

आरज़ू मंज़िल की है तो फ़ासला देखा न कर

आरज़ू मंज़िल की है तो रास्ता देखा न कर
हमसफ़र देखा न कर तू फ़ासला देखा न कर

देखना ख़ुद को ज़रुरी है संवरने के लिए
जो करे मग़रुर पर - वो आइना देखा ना कर

छोड़ जाते हैं सभी अपने भी आख़िर एक दिन
मा 'सिवा रब के तू कोई आसरा देखा ना कर

बख़्शा है गरचे ख़ुदा ने दिल तुझे फितरत-शनास
हर किसी में हुनर देखा कर, बुरा देखा ना कर

चाहता है गर न तेरी ख़ामियां देखे कोई
दूसरों की ख़ामियां भी बारहा देखा न कर

हर किसी की ज़िंदगी में होती हैं मजबूरियाँ
उनकी मजबूरी में अपना फ़ायदा देखा न कर

अजनबी बन के वो अब मिलता है गर तुमसे तो क्या
तू मगर 'राजन ' उसे ना -आशना देखा ना कर
                                    " राजन सचदेव "


मा 'सिवा रब के = भगवान के सिवा, प्रभु के इलावा
फितरत-शनास = दूसरों को समझने का गुण ,
बारहा = बार बार , लगातार
ना -आशना - ग़ैर ,अनजान , अजनबी

9 comments:

  1. BAHUT BAHUT BAHUT HI SUNDER NZM .
    GZB BA KMAL H MERE MALIK

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  2. Wah wah Subhaan allah
    Bahut khoob

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  3. Waah Jì Kya Baat Hai Jì ������

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  4. Nicec mahatma ji nice
    datar aap ji par kirpa karai

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  5. Beautiful Guidance. Keep blessing Ji. _/\_

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  6. Wah! Kya baat hai

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  7. Beautifully written and explained!!����

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