कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो, कैसे बताऊँ
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड़कनों का गीत हो
जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िन्दगी तुम बन्दगी
तुम रौशनी तुम ताज़गी
तुम हर ख़ुशी तुम प्यार हो
तुम प्रीत हो मनमीत हो
आँखों में तुम, यादों में तुम
साँसों में तुम, आहों में तुम
नींदों में तुम, ख़्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में
तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबह में तुम शाम में
तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम
मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हंसना भी तुम
मेरे लिए रोना भी तुम
और जागना सोना भी तुम
जाऊं कहीं, देखूँ कहीं
तुम हो वहाँ, तुम हो वहीं
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम धर्म हो
मेरे लिए ईमान हो
तुम ही इबादत हो मेरी
तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही मेरा अरमान हो
तकता हूँ मैं हर पल जिसे
तुम ही तो वो तस्वीर हो
तुम ही मेरी तक़दीर हो
तुम ही सितारा हो मेरा
तुम ही नज़ारा हो मेरा
यूँ ध्यान में मेरे हो तुम
जैसे मुझे घेरे हो तुम
पूरब में तुम,पष्चिम में तुम
उत्तर में तुम, दक्षिण में तुम
सारे मेरे जीवन में तुम
हर पल में तुम, हर छिन में तुम
मेरे लिए रस्ता भी तुम
मेरे लिए मन्ज़िल भी तुम
मेरे लिए सागर भी तुम
मेरे लिए साहिल भी तुम
मैं देखता बस तुमको हूँ
मैं सोचता बस तुमको हूँ
मैं जानता बस तुमको हूँ
मैं मानता बस तुमको हूँ
तुम ही मेरी पहचान हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
देवी हो तुम मेरे लिए
मेरे लिए भगवान हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो, कैसे बताऊँ
" जावेद अख़्तर "
मेरे लिए तुम कौन हो, कैसे बताऊँ
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड़कनों का गीत हो
जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िन्दगी तुम बन्दगी
तुम रौशनी तुम ताज़गी
तुम हर ख़ुशी तुम प्यार हो
तुम प्रीत हो मनमीत हो
आँखों में तुम, यादों में तुम
साँसों में तुम, आहों में तुम
नींदों में तुम, ख़्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में
तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबह में तुम शाम में
तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम
मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हंसना भी तुम
मेरे लिए रोना भी तुम
और जागना सोना भी तुम
जाऊं कहीं, देखूँ कहीं
तुम हो वहाँ, तुम हो वहीं
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम धर्म हो
मेरे लिए ईमान हो
तुम ही इबादत हो मेरी
तुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही मेरा अरमान हो
तकता हूँ मैं हर पल जिसे
तुम ही तो वो तस्वीर हो
तुम ही मेरी तक़दीर हो
तुम ही सितारा हो मेरा
तुम ही नज़ारा हो मेरा
यूँ ध्यान में मेरे हो तुम
जैसे मुझे घेरे हो तुम
पूरब में तुम,पष्चिम में तुम
उत्तर में तुम, दक्षिण में तुम
सारे मेरे जीवन में तुम
हर पल में तुम, हर छिन में तुम
मेरे लिए रस्ता भी तुम
मेरे लिए मन्ज़िल भी तुम
मेरे लिए सागर भी तुम
मेरे लिए साहिल भी तुम
मैं देखता बस तुमको हूँ
मैं सोचता बस तुमको हूँ
मैं जानता बस तुमको हूँ
मैं मानता बस तुमको हूँ
तुम ही मेरी पहचान हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
देवी हो तुम मेरे लिए
मेरे लिए भगवान हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
मेरे लिए तुम कौन हो, कैसे बताऊँ
" जावेद अख़्तर "
Very Nice Post Rajan Ji
ReplyDeleteregards,
Vishal Babbar
Thank you Vishal ji. Javed Akhtar is a great writer, poet and philosopher.
ReplyDeleteVery Very nice it's my all time favourite
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