सखी री मैं तो गिरिधर के रंग राची
सूरज जायेगो, चंदा जायेगो जाएगी धरण अकाशी
पवन पानी दोनों जाएंगे, अटल मेरा अविनाशी
जिन के पिया परदेस बसत हैं लिखि लिखि भेजें पाती
मोरा पिया मोरे संग बसत है, कहीं ना आती जाती
पीहर बसूँ ना बसूँ सासु घर, सतगुर शब्द संगाती
गुरु मिलयो रविदास निरगुनिया 'मीरा ' हरि रंग राती
पाती ……… letters
पीहर …… Parent's home
संगाती ....... संगत In the company of Saints
निरगुनिया ....... of Nirgun Philosophy ... Formless & Attribute-less
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