Thursday, December 1, 2016

गिरिधर के रंग राची

सखी री मैं तो गिरिधर के रंग राची 

सूरज जायेगो, चंदा जायेगो जाएगी धरण अकाशी 
पवन पानी दोनों जाएंगे, अटल मेरा अविनाशी 

जिन के पिया परदेस बसत हैं  लिखि लिखि भेजें पाती 
मोरा पिया मोरे संग बसत है,  कहीं ना आती जाती 

पीहर बसूँ ना बसूँ सासु घर,  सतगुर शब्द संगाती 
गुरु मिलयो रविदास निरगुनिया 'मीरा ' हरि रंग राती 



       पाती ……… letters 

      पीहर   ……  Parent's home 

      संगाती    .......   संगत In the company of Saints

       निरगुनिया      ....... of Nirgun Philosophy ... Formless & Attribute-less



No comments:

Post a Comment

झूठों का है दबदबा - Jhoothon ka hai dabdabaa

अंधे चश्मदीद गवाह - बहरे सुनें दलील झूठों का है दबदबा - सच्चे होत ज़लील Andhay chashmdeed gavaah - Behray sunen daleel Jhoothon ka hai dabdab...