Tuesday, March 24, 2015

Ramayan........ A short version

 राम (ज्ञानी चित्त) अध्यात्म की कुटिया से निकल कर स्वर्ण मृग (संसारिक माया) के पीछे चला गया। 
और फिर तो लक्ष्मण (संयम, वैराग्य) भी उनके पीछे ही चला गया। 
अब सीता यानी भक्ति  की संभाल कौन करता ? 
तो अहम रूपी रावण ने सीता यानि भक्ति का अपहरण कर लिया।
और वो भी अपने असली रूप में नहीं, बल्कि एक साधू और त्यागी के भेस में। 
क्योंकि महात्मा, साधू या त्यागी के भेस में अहम आसानी से छुपा रह सकता है और प्रकट रूप से दिखाई नहीं देता। 

आखिर राम (ज्ञानी चित्त) रावण रूपी अहम को मार कर सीता अर्थात भक्ति को वापिस ले हीआए। 

रावण को मारे बिना सीता को प्राप्त करना असम्भव है। 
भक्ति प्राप्त करने के लिए अहम को मारना ही पड़ेगा।  

                                  'राजन सचदेव'




2 comments:

  1. Beautiful explanation Uncle Ji....ThankU ji for sharing...Dhan Nirankar Ji!

    ReplyDelete
  2. Thank you. It would have been nice if you had added your name. I know some people do not like their email id to be shown, but adding just the name would be nice. Thanks
    Rajan

    ReplyDelete

झूठों का है दबदबा - Jhoothon ka hai dabdabaa

अंधे चश्मदीद गवाह - बहरे सुनें दलील झूठों का है दबदबा - सच्चे होत ज़लील Andhay chashmdeed gavaah - Behray sunen daleel Jhoothon ka hai dabdab...