Saturday, December 27, 2014

सत्संग


अकसर कोई भी काम करने से पहले हर व्यक्ति के मन में एक प्रश्न उठता है कि  ऐसा करने से मुझे क्या मिलेगा । 
जब  किसी को सत्संग के लिए प्रेरणा दी जाती है तो स्वभाविक है कि  उनके मन में भी यह प्रश्न उठता होगा । 
या हम स्वयं ही, प्रेरणा देने के साथ साथ सत्संग के लाभ भी ब्यान कर देते हैं । 
जैसे कि : सत्संग करने से दुःख दूर हो जाएंगे - बिगड़े काम बन जाएंगे तथा इच्छाएँ पूर्ण होंगी । अथवा भक्ति भाव बढ़ेगा तथा मन को शान्ति मिलेगी इत्यादि । ऐसा सुन कर कुछ लोग दुःख निवृति के लिए आ जाते हैं  तो कुछ इच्छाओं की पूर्ति के लिए । कुछ जिज्ञासु लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए और कुछ भक्ति भाव से केवल मन की शान्ति के लिए भी सत्संग में आते हैं । 

इस में कोई शंका नहीं कि  सत्संग में आने से उपरोक्त सभी बातें पूर्ण हो सकती हैं लेकिन श्री आदि शंकराचार्य एक बहुत सुंदर एवं गहरी बात कहते हैं :

        "सत्संगत्वे नि:संगत्वं,  नि:संगत्वे निर्मोहत्वम् ॥"

अर्थात सत्संग करते करते धीरे धीरे मन 'नि:संगत ' अथवा संगत - रहित हो जाता है । 

नि :संगत होने के पश्चात निर्मोहत्व  की अवस्था प्राप्त होती है अर्थात मिथ्या मोह से बच कर मन स्वयं में स्थित हो जाता है । 

 यदि हम गहराई से विचार करें तो  हम पाएंगे कि हमारा मन हर समय किसी न किसी की संगत में ही रहता है । कभी भी अकेला नहीं रहता । मन के परम मित्र हैं आशा - तृष्णा , काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद (अभिमान) और मत्सर (ईर्ष्या ) जो किसी भी समय मन को अकेला नहीं छोड़ते । 

आदि शंकराचार्य कहते हैं कि सत्संग का सब से बड़ा लाभ ये है कि  मन काम क्रोधादि की संगत से हट कर 'अकेला ' हो जाता है तथा 'स्वयं ' अर्थात 'निश्चल तत्व ' में स्थित हो जाता है । 

                   "निर्मोहत्वे  निश्चल तत्वम, निश्चल तत्वे जीवन मुक्ति:"

अर्थात निर् - मोहत्व की अवस्था प्राप्त करने  के पश्चात 'निश्चल तत्व ' में स्थित होने से ही जीवन मुक्ति प्राप्त हो सकती है । 

सत्संग करने से लोभ मोहादिक का संग छूट जाता है तथा गुरु  कृपा से निराकार पारब्रह्म का ज्ञान प्राप्त करके निज-स्वरूप में स्थित जीव अमर हो जाता है । 

                                                               'राजन सचदेव '

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When the mind is clear

When the mind is clear, there are no questions. But ... When the mind is troubled, there are no answers.  When the mind is clear, questions ...