अक़सर ऐसी घड़ियाँ भी मेरे जीवन में आई हैं
जो बातें खुद भी ना समझीं वो औरों को समझाई हैं
Aqsar aesi ghadiyaan bhi mere jeevan me aayi hain
jo baaten khud bhi na samjhin vo auron ko samjhaai hain
ये जाते हुए पुराने साल की नसीहत भी तुम हो और आने वाले हर इक साल की ज़रुरत भी तुम हो (तुम = निरंकार ईश्वर) कि जो तौफ़ीक़ रखते हैं बना लें...
great thought Rajan Uncle
ReplyDeletetoo beautiful thought
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