Wednesday, November 12, 2014

अक़सर ऐसी घड़ियाँ भी Aqsar aesi ghadiyaan


अक़सर  ऐसी घड़ियाँ  भी  मेरे जीवन में आई हैं 


जो बातें खुद भी ना ​समझीं वो औरों को समझाई हैं 

Aqsar aesi ghadiyaan bhi mere jeevan me aayi hain

jo baaten khud bhi na  ​samjhin​  vo auron ko samjhaai hain


2 comments:

पुराने साल की नसीहत - नए साल की ज़रुरत

ये जाते हुए पुराने साल की नसीहत भी तुम हो   और आने वाले हर इक साल की ज़रुरत भी तुम हो      (तुम = निरंकार ईश्वर) कि जो तौफ़ीक़ रखते हैं बना लें...