Friday, November 15, 2024

Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा


जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा 

Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega

Thursday, November 14, 2024

Who is Lord Krishn कौन और क्या हैं भगवान कृष्ण

Anupam Kher explains 
            Who or what is Lord Krishn 


 कौन और क्या हैं भगवान कृष्ण  -- अनुपम खैर 

With English subtitles  ⬇️





Wednesday, November 13, 2024

रावण का ज्ञानी होना महत्वपूर्ण नहीं

रावण का ज्ञानी और महा-पंडित होना महत्वपूर्ण नहीं है। 

महत्व इस बात का नहीं है कि रावण विद्वान और ज्ञानी था। 
महत्वपूर्ण बात ये है कि एक महा विद्वान और ज्ञानी भी रावण हो सकता है। 

ज्ञान के साथ साथ भावना और कर्म का पवित्र होना भी आवश्यक है। 

Ravan being a Gyani is not important

Ravan being a Gyani is not important. 

It is not important that Ravan was a great scholar and a Gyani Pandit.
The important thing is that a Gyani and a great scholar can also become a Ravan.

Along with Gyan and knowledge, sentiments and actions must also be pure. 


Monday, November 11, 2024

दर्पण के सामने - भगवान कृष्ण

एक बार, भगवान कृष्ण आईने के सामने खड़े थे अपने बालों और पोशाक को ठीक कर रहे थे।
वह अपने सिर पर विभिन्न मुकुटों को सजा कर देख रहे थे और कई सुंदर रत्न-जड़ित गहने पहन कर स्वयं को निहार रहे थे। 
उनका सारथी रथ तैयार करके बाहर इंतजार कर रहा था।

बहुत देर इंतजार करने के बाद सारथी सोचने लगा कि अक्सर कहीं जाना होता है  तो भगवान कृष्ण बहुत जल्दी तैयार हो कर बाहर आ जाते हैं।
लेकिन आज इतना समय बीत जाने के बाद भी वे अभी तक अपने कमरे से बाहर नहीं आए। 
हो सकता है कि उन्होंने बाहर जाने का विचार स्थगित कर दिया हो। 
क्योंकि कृष्ण स्वभाव से ही अप्रत्याशित (Unpredictable) थे और उनके कार्य अक्सर अनपेक्षित (Unexpected) होते थे। 
वो किसी भी समय तत्क्षण ही अप्रत्याशित रुप से कोई निर्णय ले लेते थे। और एक क्षण में ही सब कुछ बदल भी सकता था। 
ऐसा सोच कर वह भगवान कृष्ण के कक्ष में चला गया और देखा कि वह दर्पण के सामने खड़े होकर स्वयं को निहार रहे हैं।

उसने विनम्रता से पूछा, "भगवन, आज आप इतने कीमती कपड़े और आभूषण पहन कर - इतने सज धज कर कहाँ जा रहे हैं?
भगवान कृष्ण ने कहा - आज मैं दुर्योधन से मिलने जा रहा हूं।
आश्चर्य चकित सारथी ने पूछा - 
"प्रभु - आश्चर्य  है कि आप दुर्योधन से मिलने के लिए इतने सज धज कर जा रहे हैं? 

भगवान कृष्ण ने कहा: हाँ भद्र  - क्योंकि वह मेरे अंदर नहीं देख सकता।
वह केवल मेरे बाहरी रुप की ही सराहना कर सकता है।
केवल अच्छे कपड़े - हीरे और रत्न जड़ित आभूषण इत्यादि ही उसे प्रभावित कर सकते हैं। 
वो किसी के अंतर्मन और ज्ञान को परखने - और भावनाओं को समझने में असमर्थ है। 
वो तो केवल बाहरी वस्त्र और आभूषण देख कर ही किसी व्यक्ति का मूल्यांकन करने का आदी है। 
इसलिए उसे प्रभावित करने के लिए ये सब आभूषण पहनना आवश्यक है "

सारथी ने फिर कहा - 
लेकिन प्रभु - आप दुर्योधन के पास क्यों जा रहे हो? 
आपको उसके पास नहीं - बल्कि उसे आपके पास आना चाहिए। 
आप तो जगत के स्वामी हैं। उसकी तुलना आपके साथ नहीं हो सकती। 
मेरे विचार में यह सही नहीं है। आपको उसके पास नहीं जाना चाहिए।"

कृष्ण पीछे मुड़े - सारथी की ओर देख कर मुस्कुराए और बोले -
     "भद्र - अंधेरा कभी प्रकाश के पास नहीं आता। 
          प्रकाश को ही अंधकार के पास जाना पड़ता है।"
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                                    ' राजन सचदेव '

Lord Krishna - in front of a mirror

Once, Lord Krishn was standing in front of the mirror - perfecting his appearance - fixing his hair and dress.
He was trying on different crowns on his head and putting on some expensive, elegant jewelry.
His charioteer waited outside with the chariot ready.

After waiting for long, the charioteer thought - usually, Lord Krishn gets ready very quickly and comes out.
But today, even after so much time has passed, he has still not come out of his room. 
Perhaps he has changed his mind and postponed the idea of ​​going out?
Because Krishn was unpredictable by nature, and his actions were often unexpected.
He would take any decision at any time - but everything could change at the last moment too.

So, he went inside and saw that he was standing in front of the mirror - admiring himself.
He politely asked, My dear Lord, where are you going today dressed in such costly clothes and ornaments?
Lord Krishn said - I am going to meet Duryodhan.
"You are dressing up so elegantly, in such costly clothes - to meet Duryodhan?" 
 The surprised charioteer asked.

Lord Krishn said: Yes, Bhadra (Gentleman) – because he cannot see inside me.
He can only appreciate my outer appearance.
Only good clothes – diamonds and gemstone studded ornaments can impress him.
He can not see the inner beauty of people - their knowledge – and their feelings.
He is used to judging a person only by the outer clothing and ornaments.
Therefore, it is necessary to wear all these ornaments to impress him.
It is how I am dressed that will impress him."

The charioteer said - Pardon me, my Lord - but why are you even going to Duryodhan? 
Instead of you going to him, he should come to you.
You are the Lord of the world. There is no comparison between you and him.
I think this is not the right thing to do. 
You should not go to him - Let him come to you.”

Lord Krishn turned around, looked at him, smiled, and said,
“ Bhadra (gentleman) - Darkness does not come to light.
 Light has to go to darkness.”
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                                          ' Rajan Sachdeva '

Friday, November 8, 2024

वो मुझ में मौजूद है फिर भी मैं उस से दूर हूँ

जानता हूँ कुछ नहीं हूँ - पर फिर भी मग़रुर हूँ
पाल के ख़ुशफ़हमियाँ दिल में अपने मसरुर हूँ 

है यही वजह कि 'राजन' मिल नहीं सकता उसे 
वो मुझ में मौजूद है - फिर भी मैं उस से दूर हूँ 
                                   " राजन सचदेव "

ख़ुशफ़हमियाँ   =  दिल को खुश रखने के लिए पाली हुई ग़लतफ़हमियां - 
       - ऐसी सोच या उम्मीद जिसकी कोई बुनियाद न हो लकिन अपने आप को तसल्ली देने के लिए दिल में बसाए रखें 
       - स्वयं को बहुत अच्छा और बड़ा समझने की ग़लतफ़हमी 
मसरुर         =  ख़ुश, प्रसन्न, उन्मत 

Vo mujh me maujood hai - He is present within me

Jantaa hoon kuchh nahin hoon par phir bhi magroor hoon 
Paal kay Khush-fehmiyaan dil mein apnay masroor hoon 

Hai yahi vajah - ki 'Rajan ' mil nahin saktaa usay 
Vo mujh me maujood hai phir bhi main us say door hoon
                   "Rajan Sachdeva "

                                      Translation 
I know I am nothing - and yet I am proud and egotistic.
I am happy and content by keeping some misconceptions in my heart.

This is the reason that I cannot meet the Lord.
He is present within me - yet I am so far from Him. 

Khush-fehmiyaan = Misconceptions nurtured to keep oneself happy 
             - such thoughts or hopes which have no basis but are kept in the heart to console oneself 
           - Deusion of considering oneself to be excellent.
Masroor = Happy, pleased, Ecstatic, Intoxicated 

Thursday, November 7, 2024

Rob the Robber -- Ja Thag nay Thagni Thagi

Maaya to Thagni bhayi - Thagat phirai sab Des
Ja Thag nay Thagnai Thagi taa Thag ko Aades
                      " Sadguru kabeer ji "
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Maya is a grand delusional - a great robber.
It distracts everyone and robs their peace. 

Salutations to the one who robs this robber - 
the one who can retain the Maya.

Thagni   = Robber
Aades     = Salutations, Regards, Pranaam, Namaskaar

जा ठग ने ठगनी ठगी

माया तो ठगनी भई, ठगत फिरै सब देस। 
जा ठग ने ठगनी ठगी, ता ठग को आदेस।।
              " सद्गुरु कबीर जी महाराज "

आदेस     =    प्रणाम, नमस्कार 

Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega