Saturday, August 2, 2025

न था कुछ तो ख़ुदा था

          न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता 
          डुबोया मुझ को होने ने - न होता मैं तो क्या होता 
                                         मिर्ज़ा ग़ालिब

भावार्थ 
जब कुछ नहीं था - ना आकाश, ना पृथ्वी, न ब्रह्मांड,  न समय 
तब केवल वही था। ईश्वर, ख़ुदा, भगवान।

और जब कुछ भी नहीं बचेगा —
न नाम, न रुप, न यह सृष्टि — न यह जीवन, न संसार —
तब भी केवल वही रहेगा — सिर्फ़ ख़ुदा, अथवा ईश्वर 
 — केवल  एकमात्र सत्य, एकमात्र अस्तित्व ही रहेगा।  

सनातन हिंदू शास्त्रों में इसे शून्य या खलु कहा गया है — 
      सर्वं खलु इदं ब्रह्म  (छान्दोग्य उपनिषद) 
खलु  - जो रुप-रंग से परे है - कुछ भी नहीं  -  लेकिन सब ओर फैला हुआ है 
— जहां  केवल मौन एवं शांति है। 
खलु का ही फ़ारसी पर्याय है ख़ाली अर्थात फ़ारसी में इसी को ख़ाली अथवा कुछ नहीं कहते हैं ।

ये केवल हमारा अहम -अर्थात हमारे होने का एहसास ही है जो हमें भ्र्म और दुःख में डुबोए रखता है।  
          " हम तो पूर्ण ब्रह्म थे जो मैं न होती बीच "
                                          " राजन सचदेव " 

9 comments:

  1. Bahut Sundar and true Jì.🙏

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  2. मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर की व्याख्या बहुत सरल और सहज शब्दों में आपने की है। शुक्रिया राजन जी🙏🙏🌹

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  3. यही सार तत्व है। बस निर्विचार होकर ही इस समग्र स्थितप्रज्ञता में आनंदोत्सव मना सकती है जीवात्मा।
    बहुत सुन्दर जी

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  4. Bharpur khalaawaan ander dekho
    Pasree baitha-e jo daaataar🙏🙏

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  5. Yeh Zameen Jab Na Thi Yeh Jahaan Jab Na Thaa
    Chaand Suraj Na Thay Aasman Jab Na Tha
    Raaz-E-Haq Bhi Kisi Per Ayaan Jab Na Tha
    Tab Na Tha Kuch Yahaan Tha Magar Tu Hee Tu

    Allah Huu! Allah Huu! Allah Huu!
    Allah Huu! Allah Huu! Allah Huu!

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  6. यह खाली और खलु का एहसास मन, बुद्धी और अकल में बना रहे जी। 🌹🙏🌹🙏

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  7. 👌❤️🙏🙏

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  8. मेरे दायें खुदा है, मेरे बाएं खुदा है,
    मेरे आगे खुदा है, मेरे पीछे खुदा है,
    और जहाँ मैं खड़ा हूँ वहाँ कल खुदने वाला है…….

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