Thursday, February 8, 2024

कण कण में भगवान - कण कण ही भगवान है

              "'सर्वं खल्विदं ब्रह्म" 
                         (छान्दोग्य उपनिषद) 
 (सारा जगत ब्रह्म अर्थात ईश्वर है) 
                         ~~~~~~~~~

कण कण में भगवान बसा है - कण कण ही भगवान है
ये वेदों का मौलिक दर्शन - यही गीता का ज्ञान है 

सत्य सनातन सर्वव्यापी अजर अमर स्वयंभू करतार  
तुझ बिन दूजा कोय नाहीं -  तेरा ही है सकल पसार 

जल में थल में वन उपवन में तू धरती आकाश में
सूरज चाँद सितारों में - तू ही तिमिर, प्रकाश में

दृष्टमान सब रुप तुम्हारा सब तेरा विस्तार है
तुम से ही जीवन है उज्वल तुम से ही संसार है

कण कण में है सूरत तेरी हर पत्ते हर डाली में
फूलों में कलियों में तू ही - तू बगिया के माली में

तू ही गंध सुगंध पुष्प और कलियों की सुवास में       
तू ही रंग तरंगों में तू ही जीवन की आस में

नाद तेरा ही गूंज रहा है तंबूरे के तार में
तबले की ता थैया में सितार की झंकार में

गीत में संगीत में - तू ही है सुर और ताल में
तू आलाप
और तान में - तू ही है रागमाल में

आवास में निवास में - तू देस में प्रवास में
हर जगह बस तू ही तू है दूर हो या पास में

धड़कनों में दिल की तू है आते जाते स्वास में
तू ही मेरी सोच में - तू ही मेरे एहसास में

ज्ञान में और ध्यान में - सुमिरन 
में व सत्संग में
भजन में कीर्तन में तू ही  - तू कथा प्रसंग में

तू ही पूजा अर्चना - तू ही श्रद्धा विश्वास में
तू मंदिर की प्रार्थना गुरुद्वारे की अरदास में

मस्जिद की आज़ान में - तू हज रोज़े रमज़ान में
गिरिजाघर के क्रास में तू ही - तू तीर्थ इशनान में

तथागत में - तीर्थंकर में - पर्यूषण उपवास में
माला तस्बी यज्ञ हवन में तू ही योगभ्यास में

हर इक शै तुझ से 
है रौशन - तू ही सबका सार है
तुझ से सब उत्पन्न हुआ तू ही सब का आधार है

अंतर बाहर तू ही तू है - तेरा सकल पसारा है
तेरी ही है ज्योति सभी में तुझ से जग उजियारा है

तू ही अल्लाह राम वाहेगुरु तू ईश्वर भगवान् है
नामों के चक्कर में लेकिन उलझ गया इन्सान है

नाम रुप आकार से जिसने परे तुम्हें पहचाना है
उस जन ने ही 'राजन' जग में परम सत्य को जाना है
                               " राजन सचदेव "


                "'सर्वं खल्विदं ब्रह्म" - (छान्दोग्य उपनिषद) 

सारा जगत ब्रह्म है - अर्थात अर्थात जो कुछ भी है वह सब ब्रह्म ही है । 
ब्रह्म ही जगत का कारण है - 
उसी में जगत उत्पन्न होता है और अंततः उसी में लीन हो जाता है। 
                        ~~~~~~~~~
सब गोविन्द है सब गोविन्द है गोविन्द बिनु नहीं कोय 
                                               (संत नामदेव जी)

13 comments:

  1. Beautiful lines. Thanks for sharing 🙏🏽

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  2. Beautiful wordings! Enjoyed reading over and over again!

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  3. एकम् सत्य विप्रा बहुधा वदन्ति

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  4. Beautiful 👍👍👍🙏🙏🙏

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  5. Absolutely true .
    Bahut hee Uttam aur sunder bhav wali Rachana ji.🙏

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  6. Bahut hi sunder upma ki gyi hai mere Malik ki...🙏🙏🌹🌹

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  7. नमन
    सुंदर व्याख्या
    अहोभाव

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  8. Beautiful. "Sab Gobind Hai"🙏

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  9. Akhand Satya 🙏🏻

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