Saturday, March 12, 2022

प्रशंसा एवं आलोचना

यदि प्रशंसा मे छुपे हुए झूठ और आलोचना मे छिपे हुए सत्य को पहचान लिया जाए
तो बहुत सी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

झूठी प्रशंसा मन में अहंकार पैदा करती है और आगे बढ़ने से रोकती है।

दूसरों से श्रेष्ठ होने का भाव हमें अपने जीवन में सुधार लाने और आगे बढ़ने के मार्ग में बाधा बन जाता है । 
हमें लगता है कि अब हमें और कुछ भी सीखने या करने की ज़रुरत नहीं हैं।

दूसरी ओर - यदि वास्तविक - वैध, और सकारात्मक आलोचना को स्वीकार करके उस पर ईमानदारी से विचार किया जाए तो वह त्रुटियों को सुधारने में मदद कर सकती है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।

                                                               " राजन सचदेव "

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Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...