एक सिसकता आंसुओं का कारवां रह जाएगा
प्यार की धरती अगर बंदूक से बांटी गई
एक मुर्दा शहर अपने दरमियां रह जाएगा
(पद्मभूषण गोपालदास सक्सेना "नीरज")
पत्थर में इक कमी है - वो पिघलता नहीं है पर इक ख़ूबी भी है - वो बदलता नहीं है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ न पिघलना...
🙏👌👌
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