Thursday, May 11, 2023

नेकी कर कूएँ में डाल

बाबा गुरबचन सिंह जी कहा करते थे कि एक किसान बीज को खेत में फैलाने के बाद उसे धूल से ढक देता है।
ज़मीन के ऊपर दिखाई देने वाले बीज कभी नहीं उगते - प्रफुल्लित नहीं होते। 
इसी प्रकार सत्कर्म और सेवा - नम्रता और निःस्वार्थ भाव से करनी चाहिए न कि दिखावे और प्रशंसा के लिए।
                            नेकी कर, कूएँ में डाल
परोपकार करो और भूल जाओ।

बाइबल कहती है:
"जब दान दो और ज़रुरतमंदों की मदद करो तो उसका ढिंढोरा न पीटना - जैसा कि ढोंगी लोग सिनेगॉग* में और सड़कों पर करते हैं - ताकि लोग उनकी बड़ाई करें - प्रशंसा करें।
मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।"
                                                                       (मत्ती 6:2)
दूसरे शब्दों में, यदि हम प्रशंसा पाने के लिए अच्छे काम करते हैं - और लोगों से प्रशंसा प्राप्त कर ली - तो समझ लें कि हमें उसका फल मिल चुका है - अब परमेश्वर की तरफ से और कोई पुरस्कार मिलने की अपेक्षा न करें - जो मिलना था सो मिल चुका - अब और कुछ मिलना बाकी नहीं है।

सेवा का अर्थ है निःस्वार्थ भाव से सेवा।
बाबा गुरबचन सिंह जी यह भी कहा करते थे कि सेवा और काम में यह फ़र्क़ है कि काम - बदले में कुछ मुआवजा पाने के लिए किया जाता है - चाहे वह धन के रुप में हो, या किसी और रुप में।
और सेवा - बदले में किसी भी तरह के इनाम की उम्मीद के बिना की जाती है।
वहां धन्यवाद और प्रशंसा पाने की भी इच्छा नहीं होती।
सेवा वही होती है जो हृदय से और निःस्वार्थ भाव से की जाती है -
किसी को खुश करने के लिए - या केवल आज्ञा मानने और प्रशंसा प्राप्त करने के लिए नहीं।
बाइबिल तो यहां तक कहती है कि - आपके बाएं हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए कि आपका दाहिना हाथ दान में क्या दे रहा है।
            नेकी कर, कूएँ में डाल
                                         ' राजन सचदेव '

सिनेगॉग*   =  यहूदी मंदिर अथवा चर्च - 
लेकिन यहां जीसस के कथन का अर्थ केवल यहूदी धर्मस्थान से नहीं लिया जाना चाहिए 
जीसस (प्रभु यीशु) के समय में उनके देश में केवल यहूदी धर्मस्थान ही थे - जिन्हें सिनेगॉग कहा जाता है। 
इसलिए उन्होंने सिनेगॉग का नाम लिया होगा - 
लेकिन यहां इस शब्द का भाव किसी ख़ास या एक धर्मस्थान के लिए नहीं बल्कि जनरल तौर पर सबके लिए सांझा समझा जाना चाहिए। 

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Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...