Monday, March 6, 2023

निर्गुण राम जपहु रे भाई

निर्गुण राम जपहु रे भाई  - अविगत की गति कथी न जाई 
चार  वेद, स्मृति, पुराणा  - नव व्याकरण मर्म न जाना 
                                 "सत्गुरु कबीर जी"

हे भाई ! निर्गुण - निराकार राम का स्मरण और ध्यान करो - जो अविगत है - अव्यक्त है। 
बुद्धि की समझ से बाहर है - शब्दों में समझा या समझाया नहीं जा सकता। वह किसी भी प्राणी की समझ से परे है।
यहां तक कि चार वेद, स्मृति, पुराण और अन्य सुंदर एवं दोषहीन व्याकरण और भाषा वाले ग्रंथ और शास्त्र भी इस गहन रहस्य को नहीं समझ सके।
                                        ~~~~~~~~
यह साधारण सा दिखने वाला संदेश - आम लोगों और बुद्धिजीवियों - दोनों के लिए है।
यहां कबीर जी सभी को - अर्थात एक आम इन्सान और बुद्धिजीवी - दोनों को ही बिना किसी भेदभाव के भाई कह कर सम्बोधित कर रहे हैं। 

आम इन्सान से कह रहे हैं कि अगर आप को धर्म, जीव और ब्रह्म आदि के गहरे तत्वज्ञान की समझ नहीं है तो चिंता न करें।
यदि आप धर्म शास्त्रों को पढ़ या समझ नहीं सकते हैं तो चिंता न करें। 
वेद शास्त्र-पुराण और ग्रंथ भी इसे पूरी तरह से समझने और समझाने में असमर्थ हैं - क्योंकि ईश्वर अविगत है - जाना नहीं जा सकता। 
अव्यक्त है - समझाया नहीं जा सकता। 
इसलिए, सर्वशक्तिमान राम अथवा ईश्वर को याद करें - नाम जपें - उसका ध्यान एवं सुमिरन करते रहें । 

दूसरी ओर - बुद्धिजीवियों को कह रहे हैं कि याद रखो कि ईश्वर अविगत है - बुद्धि की समझ से बाहर है ।
यहाँ तक कि वेद और स्मृतियाँ भी - व्याकरण और परिष्कृत भाषा का पूर्ण ज्ञान रखने वाले शास्त्र और ग्रन्थ भी शब्दों में इस अव्यक्त की व्याख्या करने में असमर्थ हैं। 
वह भी अंत में नेति-नेति ही कहते हैं।
इसलिए भाषा और उच्चारण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय - प्रत्येक शब्द के सही अर्थ और व्याख्या पर बहस करने की बजाय - उनके भाव को समझें और जप-जाप ध्यान एवं सुमिरन पर ध्यान दें।

दूसरे शब्दों में, कबीर जी सभी को - चाहे वो अनपढ़ है या विद्वान स्कॉलर है - 
सभी को  कह रहे हैं कि ग्रंथों और शास्त्रों के दर्शन (फिलॉसफी) और बौद्धिक मम्बो-जंबो में न उलझें - न फँसें - क्योंकि ईश्वर तो अलख अगोचर अविगत है - समझ से बाहर है।
सतगुरु से प्राप्त किए हुए ज्ञान को याद रखें और अपने मन बुद्धि और हृदय को सर्वशक्तिमान निरंकार प्रभु के विशुद्ध प्रेम और भक्ति से भर कर  केवल आत्म-साक्षात्कार और सुमिरन पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें। 
                             ' राजन सचदेव '

No comments:

Post a Comment

Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...