Monday, March 20, 2023

अतीत का मोह और पुरानी धारणाओं का बंधन

कुछ नया सीखने के लिए - आगे बढ़ने और जीवन में सुधार लाने के लिए अतीत और पुरानी मान्यताओं को छोड़ना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
जैसे पंछी जब उड़ना चाहता है तो उसे डाली को - जिस टहनी पर बैठा है - उसे छोड़ना पड़ता है।

इसी तरह, अपने जीवन की उच्चतम क्षमता को प्राप्त करने के लिए, हमें उन शाखाओं को छोड़ना पड़ेगा जिन्हें हम पकड़े हुए हैं।
वो शाखाएं हैं आंतरिक और बाहरी - मानसिक और शारीरिक। 

कुछ शाखाएं आंतरिक अर्थात मानसिक और भावनात्मक होती हैं । 
हम अपने मन में कुछ मान्यताओं, अवधारणाओं और हठधर्मिता को पकड़ लेते हैं  और उनसे भावनात्मक रुप से जुड़ जाते हैं 
अंततः वो मान्यताएं और धारणाएं हमें बांध लेती हैं - प्रतिबंधित कर देती हैं और हम उन मान्यताओं से परे देख और सोच भी  नहीं पाते। 
एक कुऍं के मेंढक की तरह उसी सीमित दायरे में बंधे रहते हैं।  

और कुछ शाखाएं बाहरी होती हैं।  
अक़्सर हम धन सम्पदा के इलावा पद प्रतिष्ठा और पोजीशन के साथ भी बंध जाते हैं और जीवन पर्यन्त उनके साथ बंधे रहते हैं। 

जब तक हम उपरोक्त शाखाओं में से किसी एक के साथ भी जुड़े हुए हैं, तो उनके छूट जाने का डर मन में बना रहेगा।  
हम हमेशा उन्हें खोने से डरते रहेंगे।
हम प्रसन्न और सुरक्षित महसूस करने के लिए उन्हें हमेशा मजबूती से पकड़े रखना चाहेंगे।

लेकिन अगर पक्षी उस शाखा को नहीं छोड़ेगा जिसे उसने पकड़ा हुआ है, तो वह कभी उड़ नहीं पाएगा।
इसी तरह, अगर हम अपनी शाखाओं को - अनुचित धारणाओं के बंधन को नहीं छोड़ेंगे तो हम कभी भी मुक्त नहीं होंगे 
और कभी भी अपनी वर्तमान मनःस्थिति से ऊपर नहीं उठ पाएंगे।

3 comments:

Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...