Tuesday, February 14, 2023

जो सर उठा के चला था

हवा वही - क़तरा वही - समंदर भी वही है
जो सर उठा के चला था वो बुलबुला नहीं रहा

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पत्थर में इक कमी है -

पत्थर में इक कमी है -               वो पिघलता नहीं है पर इक ख़ूबी भी है -                वो बदलता नहीं है       ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ न पिघलना...