Tuesday, October 26, 2021

जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाए

जप मरे, अजपा मरे , अनहद भी मर जाए
सुरत समानी 
शब्द महिं जा को काल न खाए
                                  "सद्गुरु कबीर जी "

सुमिरन की पहली अवस्था है जप 
अर्थात किसी शब्द अथवा मंत्र का जिह्वा से उच्चारण - 
किसी शब्द, मंत्र अथवा प्रार्थनात्मक वाक्यांश को बार बार दोहराना। 

अजपा उस से आगे की अवस्था है - अगली स्टेज है 
जिस में वाणी के बिना ही शब्द अथवा मंत्र का सुमिरन मन में चलता रहता है। 

फिर अनहद की अवस्था में शब्द मिट जाते हैं - ध्वनि भी मर जाती है 
रह जाती है केवल नाद-तरंग 

कबीर जी महाराज उस अवस्था का ज़िक्र कर रहे हैं जिस में जप और अजपा समाप्त हो जाएँ - 
अर्थात इन अवस्थाओं से ऊपर उठ जाएं - 
यहाँ तक कि अनहद की अवस्था को भी पार करके चेतना शब्द में विलीन हो जाए 
सुरति इतनी ऊपर उठ जाए कि स्वयं ही शब्द रुप - नाद स्वरुप हो जाए 
फिर काल वहां नहीं पहुँच सकता - काल का चक्र समाप्त जाता है।   

मुझे याद है कि बाबा अवतार सिंह जी महाराज भी यही बात कहा करते थे। 
कई बार कुछ सज्जनों से पूछ लिया करते थे कि आपको अनहद शब्द हुआ?
अगर किसी महात्मा - किसी महांपुरुष ने कहा कि हाँ जी - हुआ है -
तो शहंशाह बाबा जी कहते थे - ठीक है - बहुत अच्छा है - 
लेकिन यहाँ रुकना नहीं - इससे भी आगे निकलो -  और आगे जाओ। 

किसी ने स्वामी रामानन्द जी से पूछा कि आप सुमिरन कैसे करते हो? 
आपका जप कैसा है ?
तो स्वामी जी ने जवाब दिया -
                कर से जपूँ न मुख से जपूँ - उर से जपूँ न राम 
                राम सदा हमको जपें और हम पावें विश्राम 

ऐसी अवस्था में पहुँच कर भक्त और भगवान में भेद समाप्त हो जाता है - 
चेतना - परम चेतना में विलीन हो जाती है 
आत्म परमात्म एक हो जाते हैं 
                 राम कबीरा एक भये हैं - कोय न सके पहचानि 
                                            
                                      " राजन सचदेव " 

3 comments:

  1. It was my wish to understand what is jaap & ajapaa.
    Now it is clear.

    Thank you Rev. Rajan uncle ji 💐🌹😊😊🌹🙏🏻🙏🏻

    Please explain about anhad in detail and how can I experience it?

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  2. It was my wish to understand what is jaap & ajapaa.
    Now it is clear.

    Thank you Rev. Rajan uncle ji 💐🌹😊😊🌹🙏🏻🙏🏻

    Please explain about anhad in detail and how can I experience it?

    /Satyavan

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