Tuesday, September 16, 2025

जिउ सुपना अरु पेखना

  एक एक करके सब पुराने महारथी जा रहे हैं 
             सोचता हूँ इसी तरह एक दिन मैं भी चला जाऊंगा  
  कुछ देर के लिए लोगों के दिलों में 
                  कुछ खट्टी मीठी यादें रह जाएंगी 
  फिर समय की धूल सब कुछ ढक लेगी 
        और एक रात के सपने की तरह - 
                                मैं भी भुला दिया जाऊंगा 
                                  ~~ ~~
अभी ये सोच ही रहा था कि अकस्मात ही गुरबाणी की ये पंक्तियां याद आ गईं : 
      "जिउ सुपना अरु पेखना ऐसे जग कउ जानि
        इन मैं कछु साचो नही नानक  बिनु भगवान"

मेरा आज का अस्तित्व कल एक सपना - एक याद बन कर रह जाएगा। 
मेरे होने का एहसास - मेरा अहं भाव, मेरी उपस्थिति की सारी आहटें और शोर, धीरे-धीरे ये सब समय के विशाल सागर में विलीन हो जाएँगे। 
कुछ ही पल के लिए किसी को थोड़ी सी टीस होगी, कुछ दुःख होगा - कुछ खट्टी-मीठी यादें दिलों में तैरेंगी - 
लेकिन फिर सब कुछ सामान्य हो जाएगा। 

समय की धूल सबको ढक लेती है। 
यादें भी एक क्षणिक मेहमान की तरह आती हैं और फिर उड़ जाती हैं।
जैसे सुबह आँख खुलते ही सपने गायब हो जाते हैं उसी तरह यादें भी धीरे धीरे धुंधली पड़ जाती हैं।  
सब कुछ पहले की तरह ही सामान्य हो जाता है। 
किसी के जाने से न तो दुनिया रुकती है और न दुनिया का कोई काम ही रुकता है।

विचारणीय है कि यदि अंतिम मंज़िल विस्मृति ही है तो फिर व्यर्थ के अहंकार और प्रतिस्पर्धा का क्या अर्थ है? 
                                     " राजन सचदेव "

9 comments:

  1. 🙏 Excellent.Yahee Atal sachayee hay ji.🙏

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  2. Absolutely correct

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  3. है तो यह पूर्ण सत्य
    खुद को समझाना अच्छा है
    अहंकार का कोई फायदा नहीं जी।
    परंतु fir bhi ...............

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  4. Uncle Ji, you always remind us
    Jag rachna sab jhooth hai!
    Jaan leyo re mit !
    Kaho Nanak Thir na rahe!
    Jio bhaloo ki bhit!!

    So we all are moving to our own destination

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  5. Excellent thoughtful message

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कामना रुपी अतृप्त अग्नि

                  आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा |                   कामरुपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च ||                            ...