Sunday, July 20, 2025

जीवन तो सरल आनंदमय और शांतिपूर्ण है

जीवन तो सरल है ।
लेकिन हम अपने अहंकार और निरंतर दूसरों से तुलना एवं प्रतिस्पर्धा के कारण इसे जटिल बना लेते हैं ।

            जीवन तो वस्तुतः  शांतिपूर्ण और आनंदमय होना चाहिए।
लेकिन लालच, अंतहीन इच्छाएँ और प्रतिस्पर्धा हमें असंतुष्ट और बेचैन बना देती हैं।

जो लोग सादगी एवं विनम्रता को अपनाते हैं और ज़मीन से जुड़े रहते हैं, वो संतुष्टि और आनंद की गहरी अनुभूति का अनुभव करते हैं।
उनके मन में दुविधाएं और उलझनें कम होती हैं। 
वे कम आंतरिक संघर्षों का सामना करते हैं, और अधिक स्पष्टता और सहजता से जीवन जीते हैं। 

अंततः  सच्चा सुख अत्यधिक संपन्नता में नहीं - सच्ची प्रसन्नता अधिकता और बाहुल्य में नहीं, बल्कि जो उपलब्ध है उस का आनंद लेने में और जो बातें वास्तव में मायने रखती हैं उनके साथ तालमेल बिठाने में मिलती है।

शांति उन्हीं को मिलती है जो सरल और विनम्र हैं  - जिनकी इच्छाएं और मांगें कम हैं।
                                                    "राजन सचदेव "

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