Monday, June 10, 2019

अपनी भाषा और संस्कृति का आदर करें

कोयल और कौआ अपनी अपनी भाषा बोलते हैं 
                                  इसलिये आज़ाद रहते हैं 
किंतु तोता दूसरों की भाषा बोलता है, इसलिए गुलाम बन जाता है
और जीवन भर के लिए एक पिंजरे में क़ैद हो जाता है।
अपनी भाषा और संस्कृति का त्याग करके कोई भी स्वतंत्र नहीं रह सकता। 
यदि स्वतंत्र रहना चाहते हो तो अपनी भाषा एवं संस्कृति का त्याग न करें।
अपने विचार, अपनी विरासत और अपने आप पर विश्वास रखिये !
                                 ' राजन सचदेव '

1 comment:

Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...