Friday, October 14, 2016

कोई न सर उठा के चले Koi Na Sar Utha Ke Chalay


निसार मैं तेरी गलियों पे ऐ वतन - कि जहाँ 
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले 
                                                  ' फैज़ अहमद फैज़ '

Nisaar main teri galiyon pay ae watan, ke jahaan
Chali hai rasm ke koi na sar uthaa kay chalay
                                                          "Faiz Ahmad Faiz"


No comments:

Post a Comment

ऊँची आवाज़ या मौन? Loud voice vs Silence

झूठे व्यक्ति की ऊँची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करा सकती है  परन्तु सच्चे व्यक्ति का मौन झूठे लोगों की जड़ें हिला सकता है                     ...