Monday, November 28, 2022

त'अल्लुक़ बोझ बन जाए तो...

तआ'रुफ़ रोग हो जाए तो उस को भूलना बेहतर
त'अल्लुक़ बोझ बन जाए तो उस को तोड़ना अच्छा

वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
                                      " साहिर लुध्यानवी "

भावार्थ :
अगर परिचय अर्थात जान-पहचान मुसीबत बन जाए तो उसे भूल जाना ही अच्छा है
कोई रिश्ता अगर बोझ बन जाए तो उसे तोड़ देना ही बेहतर है

वो कहानी - वो सम्बन्ध जिसे सुखद अंत तक - पूर्णता तक लाना संभव न हो 
उसे एक ख़ूबसूरत सा मोड़ दे कर छोड़ देना ही बेहतर है

शब्दार्थ :
तआ'रुफ़    = परिचय, जान-पहचान 
त'अल्लुक़   =  संबंध, रिश्ता 
अंजाम       =  अंत, पूर्णता 

3 comments:

  1. धन निरंकार जी, साहिर लुधियानवी एक महान कवि यह गीत किसी हिंदी पिक्चर में भी गाया है. 🙏🙏🌹🌹

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हाँ - it's a part of - चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों

      Delete

ऊँची आवाज़ या मौन? Loud voice vs Silence

झूठे व्यक्ति की ऊँची आवाज सच्चे व्यक्ति को चुप करा सकती है  परन्तु सच्चे व्यक्ति का मौन झूठे लोगों की जड़ें हिला सकता है                     ...