Wednesday, September 29, 2021

नव-रस

प्राचीन संस्कृत साहित्य में नौ प्रकार की मानवीय भावनाओं (Emotions) का उल्लेख मिलता है - जिन्हें नव-रस कहा जाता है।

यही अवधारणा प्राचीन संगीत शास्त्रों, भारतीय शास्त्रीय संगीत साहित्य में भी पाई जाती है।

भारतीय शास्त्रीय संगीत का अध्ययन करते हुए, मैंने इस विषय पर एक प्रामाणिक श्लोक पढ़ा और फिर इसे कई वर्षों तक पढ़ाया भी - जो इन नव-रस अर्थात नौ भावनाओं अथवा संवेदनाओं - Emotions और Feelings की व्याख्या करता है।

                    श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक: 
                    वीभत्स-ओ-अद्भुत इति अष्टो रस शान्तस्तथामतः


अर्थात - प्रेम, हास्य, करुणा, आतंक, साहस, भय, घिनौना या घृणास्पद और आश्चर्य 
- ये आठ रस (भावनाएं) हैं, और फिर - शांति भी है।"
                                        ~~~~~~~~~~~~~~
एक दिन, फिर से इस श्लोक पर विचार करते हुए, मुझे इस श्लोक का एक बिल्कुल अलग ही अर्थ दिखाई दिया। 
मुझे आश्चर्य हुआ कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि "ये आठ रस हैं, और फिर शांत रस भी है?

पहले हम हमेशा यही अर्थ करते रहे थे कि आठ रस और शांत रस मिल कर नौ हो जाते हैं । 

लेकिन फिर मन में एक सवाल उठा कि लेखक ने इसे पहले ही शामिल क्यों नहीं किया? 
सीधा ही कह देते : "इति नव रस" - कि ये नौ रस हैं?

क्या यह किसी काव्यात्मक कारण से था - श्लोक को - कविता को एक सुंदर रुप देने के लिए ? 
या इसके पीछे कोई और गहरा, छिपा हुआ अर्थ भी है?

हो सकता है कि लेखक यह कहने का प्रयास कर रहा हो कि उपरोक्त आठ भावनाएँ हैं जिन्हें बाहरी प्रभाव से अनुभव किया जा सकता है - लेकिन शांत रस ऐसा नहीं है - इन से अलग है - इसलिए इसे आठों से अलग रख दिया।

हम शांति खोजते रहते हैं - बाहर से शांति ढूंढने की कोशिश करते हैं। 
क्योंकि हम इसे भी अन्य भावनाओं के समान समझते हैं - 
कि इसे भी बाहरी प्रभाव से प्राप्त किया जा सकता है।
जबकि वास्तव में, यह अन्य सभी भावनाओं की अनुपस्थिति है।
 
शांति खोजने की कोशिश करने के बजाय - हमें दूसरी भावनाओं को समाप्त अथवा कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
क्योंकि - एक शांत और विचारहीन मन हमेशा शांत ही रहता है।
                                          ' राजन सचदेव '

No comments:

Post a Comment

Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...