Friday, August 27, 2021

सराय अथवा गेस्ट हाउस

कहा जाता है कि यह दुनिया एक सराय - एक गेस्ट हाउस की तरह है।
जहां हर एक क्षण में अनेक विदा हो रहे हैं, और अनेक नए मेहमान प्रवेश कर रहे हैं।

अगर हम ध्यान से सोचें - तो मानव मन भी एक सराय - एक गेस्ट हाउस की तरह ही है
- जहां हर पल किसी पुरानी सोच का प्रस्थान और किसी नए विचार का आगमन होता ही रहता है।

हमारे मन में भी हर पल नए नए विचार और नई भावनाएं - कभी खुशी कभी अवसाद - कभी दया कभी क्रूरता - कभी संतोष कभी लालच एवं कई अन्य क्षणिक भावनाएँ एक अप्रत्याशित आगंतुक - एक बिन बुलाए मेहमान के रुप में उभरती रहती हैं। 
जबकि पुराने विचार और भावनाएं निरंतर प्रस्थान करते रहते हैं।
उन्हें रोका तो नहीं जा सकता - लेकिन हम उन पर नजर ज़रुर रख सकते हैं। 

धारणाएँ, कल्पनाएं और आलोचनाएं - आशा, निराशा - दुःख और संताप भी एक अप्रत्याशित भीड़ के रुप में अचानक एक असावधान मन में प्रवेश कर जाती हैं और उसकी स्थिरता और शांति को पल भर में समाप्त कर देती हैं।

इसलिए -- इस से पहले कि अनचाहे विचार और अवांछित भावनाएं हमारे मन रुपी घर में स्थायी रुप से डेरा बना लें - या दीर्घकालिक निवासी बन जाएँ - हमें अपने विचारों पर कड़ी नज़र रखना बहुत ही ज़रुरी है।
                                                     ' राजन सचदेव '
 

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Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...