Thursday, August 27, 2020

सत्य का अनुभव आवश्यक है

सत्य केवल अनुभव से ही जाना जा सकता है। 

हम अतीत और वर्तमान के संत महात्माओं एवं प्रबुद्ध लोगों के अनुभव से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अंततः, यह हमारा अपना अनुभव ही है जो हमें स्वतंत्र एवं मुक्त कर सकता है।
जैसे हमारे लिए कोई अन्य व्यक्ति भोजन नहीं खा सकता - एक्सरसाइज (exercise) या स्नान नहीं कर सकता।
हमारे नाम पर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा खाया गया भोजन हमारा पेट नहीं भर सकता।
इसी तरह, हमारा आध्यात्मिक सफ़र कोई और तय नहीं कर सकता। 
वो हमें ही तय करना पड़ेगा। 
वेदों,शास्त्रों, ग्रंथों में - और संतों महात्माओं एवं सदगुरुओं द्वारा हमें स्पष्ट रुप से मार्ग दिखाया गया है।
उनकी शिक्षाएँ स्पष्ट हैं। 
यहां तक कि वे हमें रास्ते में आने वाले mile stones अर्थात रास्ते में मिलने वाले चिन्हों के बारे में भी बताते हैं जिनसे हमें पता चल सकता है कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं और मंज़िल कितनी दूर है।
यदि हमारे दिलों में सभी के लिए प्रेम, सम्मान और एकत्व की भावना है -
मन में सबर, संतोष, धैर्य और सहनशीलता का निवास है तो हम सही रास्ते पर हैं।

लेकिन, स्वयं को देखने की बजाए अगर हम दूसरों को आंकने और उनकी आलोचना करने में लगे हैं, तो हम गलत दिशा में जा रहे हैं।
अपना अहंकार स्वयं को दिखाई नहीं देता। 
निष्पक्ष रुप से - या दूसरों की दृष्टि से देख कर ही हम यह जान सकते हैं कि हमारे अंदर कितना अहंकार है - हम कहाँ खड़े हैं और मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य से कितनी दूर हैं।
जितना 'मैं - मेरी' से दूर होते जाएंगे - उतना ही प्रभु के करीब आते जाएंगे
आध्यात्मिकता का अर्थ दूसरों को कंट्रोल करना नहीं बल्कि स्वयं अपने मन को नियंत्रित करना है। 
                                                   ' राजन सचदेव ’

3 comments:

  1. Thank you Rajan Ji for reminding. Bless us we should not get distracted

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  2. Well said Dr Sachdeva. Experiential processes of life are must.

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Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...