Wednesday, May 17, 2017

ज्ञान का सूर्य Gyan ka soorya

ज्ञान का सूर्य उदय होते ही मोह और भ्रम का अँधेरा दूर हो जाता है।   
'नाम-रूप ' की असत्यता का ज्ञान हो जाने पर स्वयंमेव ही नाम और रूप से भक्त का मोह टूट जाता है
और मन निराकार पारब्रह्म परमात्मा के चिन्तन में लीन हो कर - भय और मोह से मुक्त हो कर 
एकरस तथा शान्त हो जाता है। 
यदि यह अँधेरा दूर नहीं हुआ - यदि मन नाम और रूप के मोह में ही बंधा रहा - 
तो इसका अर्थ है कि ज्ञान का सूर्य अभी उदय ही नहीं हुआ 
और अगर हुआ भी तो किसी शंका या लोभ के बादल ने उसे ढ़क लिया होगा। 
लोभ का अर्थ सिर्फ धन से ही नहीं - मान और प्रतिष्ठा का लोभ भी सत्य से दूर ले जाता है 

सत्गुरु तो हरएक युग में सत्य का ज्ञान दे कर - केवल निराकार पारब्रह्म परमात्मा के साथ जुड़ने की प्रेरणा देते हैं । 
भक्त का काम है अपने मन में झाँक कर देखना - कि वो सत्य यानि निराकार परमात्मा से जुड़ा है ?
या फिर नश्वर नाम और रूप के साथ ही बंधा हुआ है। 
नाम-रूप से ऊपर उठ कर सत्य के साथ नाता जोड़ना -
और हर समय सत्य का अहसास रखना ही ज्ञान और भक्ति का एकमात्र उद्देश्य है।  
                                  
                                                              'राजन सचदेव '



1 comment:

Look for three things - तीन चीजें देखने की कोशिश करें

"Look for three things in a person -  Intelligence,  Energy, and  Integrity.  If they don't have the last one,           don't ...