Tuesday, May 4, 2021

बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के अमृत वचन

               बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज के अमृत वचन

★ गुरु अमर होता है ऐसा कहने का भाव सतगुरु के शरीर से नहीं उसके वचन से है।

  शरीर तो बदलता ही रहता है,खत्म होता ही रहता है,लेकिन वचन खत्म नहीं होता -   एक सा रहता है।

★ नम्रता से ही इस संसार को जीता जा सकता है,अभिमान से नहीं।

★ जो ताकत हम इधर उधर की फिजूल बातों में लगाकर व्यर्थ खो देते हैं,उसे दुनिया    की भलाई मे लगाना चाहिए।

★ कहीं गन्दगी पड़ी हो तो उसे फैलाने से गन्दगी नही हटेगी,केवल दुर्गन्ध ही फैलेगी।

 इसी तरह किसी के अवगुणों को देखकर ढिंढोरा पीटने से कोई फायदा नहीं होने वाला है।

★ दान जो केवल बाहरी दिखावे के लिए दिया जाता है, यह अहंकार को ही जन्म देता है।

★ केवल एक ब्रह्ज्ञानी ही संसार में सभी बन्धनों से मुक्त कहा जाता है।

 संसार के और जितने भी लोग हैं सभी बन्धनों में जकड़े हुए हैं। कोई स्थानों के बन्धनों  में - तो कोई समय के बन्धन में है।

★ जो एक निरंकार प्रभु के भक्त हैं,उनके लिए हर स्थान और हर समय अच्छा  है

क्योंकि वे सदैव हर स्थान पर हर समय एक निराकार ब्रह्म को अपने अंग संग देखते हैं और इसकी आराधना करते हैं।

★ गुरु तभी प्रसन्न होता है जब वह देखता है कि उसके अनुयायी आपस में प्रेमभाव से   रह रहे हैं।

 हर पल,हर क्षण एक दूसरे के सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

★ जो नोजवान हैं वो बढ़ चढ़ कर इस परमार्थ के - परोपकार के काम में हिस्सा लें। 

 अगर अपनी जगह छोड़कर उन्हें आगे लाया जाए,तो यह और भी महानता वाली बात होगी।

                   ~  बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज  ~ 

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Life is simple, joyous, and peaceful

       Life is simple.  But our ego, constant comparison, and competition with others make it complicated and unnecessarily complex.        ...