Friday, November 19, 2021

वो मर गये हैं मगर ...

                 अवाम आज भी कच्चे घरों में रहते हैं
                 वो मर गये हैं मगर मकबरों में रहते हैं
                                            " हसीब सोज़ "

इंटरनेट पर यह एक सुंदर और गहरा शेर मिला जो शायर के संवेदनशील विचारों को दर्शाता है।

अक़्सर लोग किसी भी वस्तु के बाहरी - दृश्यमान सौंदर्य को देख कर ही प्रभावित और अचंभित हो जाते हैं।
दूसरी तरफ कुछ ऐसे दार्शनिक और यथार्थवादी कवि हैं - जो हर चीज़ को बाहर से - सिर्फ ऊपरी सतह से नहीं बल्कि गहराई से देखते हैं - और उनके दिल इन्साफ, समानता और निष्पक्षता के लिए रोते हैं।

साहिर लुधियानवी की तरह - यह शायर भी इस शेर में - जीवन की विडंबना पर हैरान है - दुनिया के अजीबो-ग़रीब तरीकों पर आश्चर्य कर रहा है कि :
मुर्दा बादशाह और सम्राट तो मृत्यु के बाद भी भव्य राजसी मकबरों में रहते हैं - जो कि असाधारण, भव्य महलों की तरह बनाए गए हैं।
जबकि अवाम - आम लोग दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी मिट्टी के घरों में रहते हैं - जिन्हें भरपेट भोजन और रोज़मर्रा की ज़रुरतें भी मयस्सर नहीं ।
कितने अजीब हैं इस दुनिया के तौर-तरीके ?
                                             ' राजन सचदेव '

6 comments:

  1. शायर के संवेदनशील विचारों को दर्शाता है।

    ReplyDelete
  2. सुंदर और गहरा शेर ...जो शायर के संवेदनशील विचारों को दर्शाता है।

    ReplyDelete
  3. 🙏 Touching thoughts, expressed by poet and explained by Dr Rajan Jì.

    ReplyDelete
  4. 🙏 Touching thoughts, expressed by poet and explained by Dr Rajan Jì.

    ReplyDelete
  5. 🙏 Touching thoughts, expressed by poet and explained by Dr Rajan Jì.

    ReplyDelete

सुख मांगने से नहीं मिलता Happiness doesn't come by asking

सुख तो सुबह की तरह होता है  मांगने से नहीं --  जागने पर मिलता है     ~~~~~~~~~~~~~~~ Happiness is like the morning  It comes by awakening --...