पत्थर में इक कमी है -
वो पिघलता नहीं है
पर इक ख़ूबी भी है -
वो बदलता नहीं है
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न पिघलना पत्थर की कमजोरी मानी जा सकती है।
लेकिन यही इसकी ताकत भी है:
अपरिवर्तित रहने का साहस।
जहां आज का समाज पिघलने और बदलने की मांग करता है -
वहीं पत्थर हमें अपने सिद्धांतों पर कायम रहने की प्रेरणा देता है -
दबाव का विरोध करने का साहस -
और सत्य की विचारधारा के प्रति दृढ रह कर अपने उसूलों पर क़ायम रहने का संदेश देता है।
" राजन सचदेव "
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