कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
बहुत आगे गए -- बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं
न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनी
तुझे अटखेलियाँ सूझी हैं - हम बे-ज़ार बैठे हैं
नजीबों का अजब कुछ हाल है इस दौर में यारो
जिसे पूछो यही कहते हैं - हम बेकार बैठे हैं
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
निकहत-ए-बाद-ए-बहारी = बसंत रुत में - बहार में चलने वाली हवा की ख़ुशबू
बे-ज़ार = निराश, परेशान, दुखी
नजीब = कुलीन, सच्चे, नेक, उदार, निष्कपट, प्रशंसनीय, प्रशंसा-योग्य इत्यादि
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